शिक्षा के साथ-साथ विद्या ज्ञान (Education Knowledge)
आपके शिक्षा कल्चर के बारे कुछ महत्वपूर्ण बाते मस्तिष्क के लिए Education Knowledge
प्राचीन काल में भारत में गुरुकुलो में शिक्षा के साथ साथ विद्या पर भी पूरा ध्यान दिया जाता था. विधार्थी को ऐसे संस्कार दिए जाते थे कि अपने जीवनकाल में अपना कार्य इमानदारी मेहनत व लग्न से कर सके. इसलिए भारत में ध्रुव, प्रहलाद व आरुणी जैसे शिष्ट बालकों का उदय हुआ.
Education Knowledge
अत: यह जरुरी है कि बच्चो को उनके विद्यार्थी जीवन से ही शिक्षा (Education Knowledge) व विद्या दोनों देना आवश्यक है. शिक्षा उसे कहते है, जो पेट पालने और रोटी कमाने के काम आती है. इसमें किताबी ज्ञान-जैसे भूगोल, गणित, विज्ञान आदि विषय ही आते हैं.
विद्या उसे कहते है, जो कर्तव्य अकर्तव्य का ज्ञान कराती है. इसके अंतर्गत अदाचार, धर्म, अध्यात्म, संस्कार आदि आते है, विद्या मनुष्य को नम्रता की और ले जाती है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आम का वृक्ष फलदार होता है, छायादार होता है, परन्तु फिर भी वह नम्र होता है.
जबकि खजूर का वृक्ष न ही फलदार होता है और न ही छायादार, फिर भी वह अकड़ता हुआ ऊँचा बड जाता है. हमें भी आम के वृक्ष के समान नम्र होना चाहिए. यदि हमें कक्षा में कुछ अंक जयादा मिल जाते है, तो हम खजूर के वृक्ष के समान अकड़ने लगते है.
हमें ऐसा न करते हुए आम के वृक्ष के समान नम्र रहना चाहिए. यदि हमारे अंदर बचपन से ही शिक्षा के साथ साथ विद्या मिल जाते है. तो हम खजूर के वृक्ष के समान अकड़ने लगते है. हमें ऐसा न करते हुए आम के वृक्ष के समान नम्र रहना चाहिए.
यदि हमारे अन्दर बचपन से ही शिक्षा के साथ साथ विद्या के गुण भी विकसित कर दिए जाएँ, तो हममें खजूर के वृक्ष के समान गुण आ ही नहीं सकते .
घरो में अभिभावक शिक्षा पर ही पूर्ण ध्यान देते रहे, तो बच्चा विद्या कहाँ से प्राप्त करेगा? बच्चे को पुराणिक ग्रन्थ जैसे रामायण, गीता पड़ने का समय ही नहीं मिलता, तो उसमे सदाचार, सभ्यता, शालीनता, सद्व्यवहार, धर्म, विवेक, दक्षता, बुध्दिजीविता आदि के गुण कहाँ से आयेंगे.
यदि बच्चे में यह गुण नहीं है, तो उसकी शिक्षा किस काम की? धूर्त बनकर पैसा तो कमा लेते है, परन्तु उस पैसे से सुख नहीं मिलता. गलत तरीके से कमाया गया धन स्वास्थ्य, सम्मान और आत्मा को उन्नति नहीं दे सकता.
गलत तरीके से कमाया गया धन हमेशा दुखदाई होता है. यदि नक़ल करके पास हो भी गए तो आपकी शिक्षा आपकी उन्नति के द्वार नहीं खोलती. हमें हमारे गुरु के प्रति सच्ची श्रध्दा होनी चाहिए. क्योकि श्रध्दा से जो विद्या प्राप्त होती है. वह फलती फूलती है.
अनावश्यक ढंग से सफलता तो मिल जाती है और भी अंत में वह असफलता ही सिद्ध होती है. अत: माता पिता को अपने बच्चों के पालन पोषण के अलावा शिक्षा के साथ साथ विद्या पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए.