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Components of Environment पर्यावरण के घटक, भूगोल से सम्बंधित जानकारियाँ (Environmental Component)





जीवधारियों के निवास की भौतिक तथा जैविक दशाएँ पर्यावरण सारी मानव जाति, जीव जंतु व पेड पौधो के विकास और वृद्धि को प्रभावित करता है. जो किसी प्राणी, समुदाय या वस्तु को चारों और से उसे घेरता है पर्यावरण कहलाता है, और इसी में हम पर्यावरण के घटकों के बारे में पढेंगे Environmental Component in Hindi.





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प्राकृतिक व सांस्कृतिक दोनों ही पर्यावरण के प्रकार होते है. प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण मर्दा, जलवायु खनिज व जीव जन्तुओ द्वारा होता है. प्राकृतिक पर्यावरण Environmental Component में वह सभी दशाए (भोतिक) होती है जिसमे प्राणी रहते है.





जैव तथा अजैव प्राकृतिक पर्यावरण के दो अंग या कारक है पर्यावरण के दोनों घटक (जैव और अजैव) अलग-अलग नहीं है बल्कि दोनों एक दूसरे पर प्रतिक्रिया करते है. अगर प्राकृतिक पर्यावरण या भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन होता है तो जैविक पर्यावरण में भी अवश्य कोई परिवर्तन धीरे व अचानक कभी भी कैसे भी हो सकते है.





मानव निर्मित मकान, सड़के, गौदाम, कारखाने, खेत, संचार के साधन और परिवहन आदि ये सभी मनुष्य ने मानव सभ्यता के विकास के दौरान भिन्न भिन्न अवस्थाओ में बनाये है. ये सभी तत्व सांस्कृतिक या मानवीय पर्यावरण में आते है. अलग अलग स्थानों की जलवायु तथा धरातल भिन्न होने के कारण पर्यावरण भी भिन्न होता है. जैसे किसी एक क्षेत्र के निवासी या व्यक्ति का जीवन दुसरे क्षेत्र के व्यक्ति से भिन्न होगा क्योकि उसका जीवन वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करता है.





आपको उदाहरण के तौर पर बताते है, पहाडियों अर्थात पर्वतीय क्षेत्रो में रहने वाले व्यक्तियों का पर्यावरण मरुस्थल या रेगिस्थान में रहने वाले व्यक्तियों के पर्यावरण से सदेव अलग होता है. पर्यावरण मनुष्य के साथ-साथ पेड पौधो तथा जिव जन्तुओ को भी प्रभावित करता है.





गेहूँ या रागी उगाने के लिए जिस प्रकार का वातावरण या पर्यावरण ठीक है वही पर्यावरण धान उगाने के लिए उपयुक्त नहीं है. यही कारण है कि आर्थिक क्रियाये, भोजन की आदतें, लोगों की आदतें और लोगों की वेशभूषा भी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में अलग पाई जाती है.





प्रारंभ में मनुष्य पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर करता था, परन्तु कालांतर में मनुष्य ने अपनी बुध्दि और सूझ बुझ से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत से संशोधन किये.





जैसे उसने शिकार छोड़कर कृषि द्वारा भोजन पैदा करना व पशुपालन शुरू किया. कृषि के लिए वनों को काटना शुरू किया. खनन द्वारा प्राप्त संसाधन से उद्योग शुरू कर दिया. किसी भी जीव के प्राकृतिक पर्यावरण का प्रत्येक तत्व जीव की भलाई के लिए आवश्यक है. प्राकृतिक पर्यावरण से प्राणी प्रभावित होता है. उसी तरह प्राणी की प्रक्रिया से पर्यावरण प्रभावित होता है. मनुष्य ने प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके सांस्कृतिक पर्यावरण Environmental Component का निर्माण किया.





पर्यावरण परिमंडल Eco Circle, पर्यावरण के चार परिमंडल होते है जो इस प्रकार है (There are four circles of the environment which is as follows)





  1. वायुमंडल
  2. स्थलमंडल
  3. जलमंडल
  4. जैवमंडल




वायुमंडल जानकारी (Atmosphere Environmental Component Information)









पृथ्वी को चारों और से घेरने वाली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते है. तापमान, वायु, आद्रता, वायुदाब व वर्षा आदि वायुमंडल के प्रमुख तत्व है. मौसम तथा जलवायु इनमे मिलकर ही बनते है. मौसम की औसत दशाओं की दीर्घ अवधि को जलवायु कहते है. मर्दा निकास, वनस्पति, तथा लोगो के रहन सहन को यह स्थल आकृतियाँ प्रभावित करती है.





वायुमंडल हमें तेज ताप तथा पराबैगनी विकिरण से बचाता है. वायुमंडल को अनेक उध्वार्धर परतों में बांटा जाता है. इसके हर एक परत के निश्चित लक्षण, गुण व उपयोगिता है. जिस स्थिति में सभी प्रकार के जीव जंतु पैदा होते है व जीवित रहते है वह वायुमंडल ही वातावरण प्रदान करता है और इसके साथ ही विकास की दशाए भी प्रदान करता है. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति वायुमंडल को पृथ्वी के चारों और खीचें रखती है.





स्थलमंडल Geography Lithosphere Environmental Component





स्थलमंडल मानव के रहने के लिए भूमि पेड पौधो को उगने के लिए मृदा प्रदान करता है. इससे हमें भिन्न भिन्न प्रकार के खनिज प्राप्त होते है जो हमारे आर्थिक विकास में सहायक होते है. यह हमारे लिए लाभदायक है. यह शेल पदार्थो से निर्मित पृथ्वी की परत है.





स्थलमंडल की बाहरी व ऊपरी परत को भूपटल कहते है. यह महाद्वीपो पर और महासागरीय बेसिनों के नीचे फैला है इसकी औसत मौटाई लगभग १०० किमी है. यह परत महासागरों के नीचे पतली व महाद्वीपीय भागों में मोटी होती है. यह सिलिका एलुमिनियम, मैग्नीशियम व लोहे आदि खनिज पदार्थो से बनी है.





जलमंडल की जानकारी Geography Water Board Environmental Component





जलमंडल का अर्थ जल से भरा स्थान है. सागर, महासागर, झीले, नदी, आदि इस परिमंडल के अंतर्गत आते है. पृथ्वी पर पानी की अधिकता के कारण पृथ्वी नील रंग की दिखाई देती है यही कारण है कि पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है. पृथ्वी के धरातल के ७१% भाग पर जलमंडल का विस्तार है. इसलिए इसको जलीय ग्रह कहा जाता है.





Our Earth Has Four Major Ocean हमारी पृथ्वी पर चार प्रमुख महासागर है. ये सभी बहुत महत्व रखते है. ये निम्न है





  1. प्रशांत महासागर
  2. हिन्द महासागर
  3. अंध महासागर
  4. आर्कटिक महासागर




ये सभी महासागर सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़ते व जलवायु को सुनिश्चित करके जलीय चक्र के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.





महासागर मनुष्य जीवन के लिए किस प्रकार उपयोगी है? जानते है कुछ निम्न बातें जो इस प्रकार से है.





  1. महासागर से हमें मछली व अन्य उत्पादों के रूप में भोजन की प्राप्ति होती है.
  2. महासागर का जल वाष्प बनकर पृथ्वी पर वर्षा के रूप में आता है. जल पृथ्वी पर सभी के जीवन का आधार है. इसलिए जल ही जीवन है ऐसा कहा जाता है.
  3. महासागरों का महत्व नो – संचालन के लिए भी है अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक है.
  4. तटीय भागों में जल का जलवायु पर समकारी प्रभाव पड़ता है.
  5. महासागर तथा सागर का पानी खारा होने की वजह से यह पानी घरेलु कामों के लिए ठीक नहीं है.
  6. महासागरों के अवसादी बेसिनों में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैसों के विशाल भंडार पाए जाते है.
  7. हमें साफ़ पानी नदियों, झीलों आदि से प्राप्त होता है. यह जल नहाने, कपडे धोने, पीने, ओद्योगिक कार्य व सिंचाई के लिए उपयोगी होता है.
  8. महासागर ही सबसे विशाल जल राशियाँ है. इस प्रकार जल राशि मनुष्य के लिए अत्यधिक आवश्यक है.




जैवमंडल जानकारी Biosphere Information





जैवमंडल बहुत ही संकीर्ण परिमंडल है. इसमें स्थलमंडल वायुमंडल व जलमंडल के आपस में मिलने वाले भाग सम्मिलित है. इसमें वनस्पति व प्राणी अर्थात समस्त जीवधारी रहते है. जैव मंडल को बायोस्फियर भी कहते है. इसकी परत की मोटाई लगभग ३० किमी तक होती है. ये ज्यादातर जीव स्थल या महासागरों की ऊपरी सतह पर केन्द्रित होता है. वह इसलिए क्योकि यहाँ पर ही जीवन के लिए वायु प्राप्त होती है. मगर महासागरों की निचली सतह पर वायु का घनत्व कम हो जाता है.





जैव विविधता जानकारी Biodiversity Information





पृथ्वी पर लगभग ३.५ मिलियन पादप (Plants) प्रजातियाँ तथा ११ मिलियन प्राणी प्रजातियाँ है. जैव विधिवता कर अर्थ प्राणियों तथा पौधों की प्रजातीय भिन्नता से है. जीव रूपी चक्र की इस विविधता में करोंड़ों वर्ष लगे जिससे पादपों(Plants) व प्राणियों की अनेक प्रजातियों का विकास हुआ.





मनुष्य में अपनी क्रियाओं द्वारा पर्यावरण को प्रभावित व विकसित किया है. परन्तु आज मनुष्य अपने क्रियाकलापों द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है. पौधों व प्राणियों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी है व अनेक विलुप्त होने की कगार पर खडी है. जैव विविधता बनाये रखने के लिए पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखना अति आवश्यक है.





महत्वपूर्ण बाते Important Things





  1. सांस्कृतिक पर्यावरण मानव द्वारा निर्मित होता है.
  2. शेलीय पदार्थो से बनी पृथ्वी की परत को स्थल मंडल कहते है.
  3. पर्यावरण का अर्थ किसी प्राणी समुदाय व वस्तु के चारों और का वातावरण है.
  4. पर्यावरण के भौतिक व सांस्कृतिक दो घटक होते है.
  5. दोनों घटक एक दुसरे को प्रभावित करते है.
  6. स्थल मंडल, जल मंडल, वायु मंडल, व जैव मंडल पर्यावरण के चार मुख्य परिमंडल है.
  7. मनुष्य की बहुत सी क्रियाए पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालती है. जिससे पर्यावरण को क्षति पहुँचती है.
  8. जीवों की जातीय विविधता को जैव विविधता कहते है.
  9. वायुमंडल पृथ्वी को घेरने वाला वायु का आवरण है.
  10. पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते है.
  11. हमें अपने पर्यावरण की हर तरह से रक्षा करनी चाहिए.

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